आज माँ की कोख में आकर बहुत खुश हूँ।नई दुनिया में आने को आतुर। कब नौ माह पूरे होंगे माँ की आँखों से देखा मैंने सब कितने खुश हैं। पिताजी तो माँ को गोद में उठाकर नाचने लगे।दादी माँ चिल्लाई, "अरे नालायक बहू पेट से है नाती आने वाला है,उतार उसे मेरे नाती को चोट लग जायेगी"। पिताजी ने माँ को उतारा और दौड़ कर दादी माँ को गोद में उठा लिया सब जोर-जोर से हँसने लगे और मैं भी। दादी माँ ने माँ के सिर पर हाथ फेर कर कहा, "बेटा तुम मेरी बहू नहीं बेटी हो। अब तुम अधिक वजन नहीं उठाना सब काम मैं देख लूँगी बस तुम अपने खाने पीने का ख्याल रखो।तभी तो फूल जैसा नाती मुझे दोगी" ऐसा कह कर दादी माँ ने माँ को गले से लगा लिया।मैंने भी दादी माँ को इतना पास पाकर एक तरंग महसूस की। मेरे मचलने को माँ ने महसूस किया और ममत्व से मुस्कुरा दी। कुछ दिन बाद दादी माँ के साथ कोई बुजुर्ग महिला आई ।वह माँ के पेट की तरफ बैठी और उनके पेट को छूकर देखा। उसके चेहरे के रंग ही बदलते चले गए।दादी माँ से बोली मेरा अनुभव कहता है यह लड़का नहीं,कलमुँही लड़की है।दादी माँ को तो जैसे सांप सूंघ गया। चेहरा क्रोध से